बेलाताल के तालाब का इतिहास - क्यों यहां पानी के बदले मौत दी जाती है - जानिए पूरी सच्चाई 🤔

दोस्तो स्वागत है आपका हमारी एक और नए पोस्ट मै इस पोस्ट में आज हम बात करने वाले है बेलाताल कि तालाब की , कि क्यों आखिर यहां पानी के बदले मौत दी जाती हैं , क्या रहस्य है इस तालाब का की जब भी यह पूरा फुल भरता है तो यहां लोगों की जान देनी पड़ती है जानिए इस तालाब का पूरा सच ..

बेलाताल के तालाब का इतिहास 🤔


बेलाताल के तालाब का इतिहास बहुत ही रहस्यों से भरा हुआ है इस तालाब का निर्माण बहुत समय पहले लगभग 400 वर्ष पहले राजा छत्रसाल ने करवाया था , और इसी तालाब के कारण इस गांव का नाम बेलाताल पड़ा है , क्योंकि इस तालाब को बेला सागर के नाम से भी जाना जाता है
जब इस तालाब का निर्माण हुआ तो इस तालाब में बहुत सालों तक कोई वर्षा का जल नहीं रुका और बहुत ही जल्दी यह तालाब धूप से इसका पानी सूख जाता था , तो राजा छत्रसाल बहुत ही परेशान रहते थे और वह हमेशा अपने मन में सोचा करते थे कि आखिर ऐसा क्यों होता है

राजा छत्रसाल का इतिहास 🤔

राजा छत्रसाल वैसे तो पूरे बुंदेलखंड के राजा है लेकिन उनका सबसे ज्यादा नाम बेलाताल से ही प्रसिद्ध हुआ है क्योंकि बेलाताल मै ही इनका किला है और उनकी पुत्री का भी किला बेलाताल मै बना हुआ है जिसे मस्तानी महल से जाना जाता है 
और राजा छत्रसाल ने ही बेलाताल मै बेलासागर यानी बेलाताल के तालाब का निर्माण करवाया था

बाजीराव मस्तानी का इतिहास 🤔

बाजीराव मस्तानी जो कि राजा छत्रसाल के पुत्री थी बहुत समय पहले की बात है लगभग 300 साल पहले की बात है कि राजा छत्रसाल पर बहुत बड़ा खतरा आ गया था और राजा बंगश ने महाराजा छत्रसाल के किले पर हमला कर दिया था तो राजा छत्रसाल ने अपनी रक्षा के लिए पेशवा से मदद मांगी थी 
जिसके कारण पेशवा ने राजा बंगश को भगा दिया था यानी हरा दिया था और इस खुशी में राजा छत्रसाल ने अपनी पुत्री का विवाह मस्तानी से करवा दिया था और इसी खुशी में राजा छत्रसाल ने अपनी पुत्री को एक महल दान में दे दिया था जिसको आज हम मस्तानी महल के नाम से जानते है

आखिर क्यों यहां पानी के बदले मौत दी जाती है 🤔

दोस्तो अब हम बात करने वाले है सबसे ज्यादा सोचने वाली बात की आखिर क्यों यहां पानी के बदले मौत दी जाती है , क्यों ये तालाब जब भी पूरा भरता है तो उसके बदले में लोगों की जान लेता है ..
दोस्तो बहुत समय पहले की बात है लोगो को कहना है कि यहां तालाब हमेगा ही सूखा रहता था तब राजा छत्रसाल ने परेशान होकर इस तालाब का हल निकाला तो उनको तालाब भरने के बदले में अपनी जान देनी पड़ी थी जब जाकर ये तालाब पूरा भरा था और इसमें पानी रुक पाया था 

लोगों का कहना है कि राजा छत्रसाल और उनकी पत्नी पुराण के पत्तों पर बैठकर इस तालाब से गुजरी थी तब जाकर राजा ने अपनी जान देकर इस तालाब का भरा था और तब से लेकर आज तक यह तालाब कभी सूखा नहीं है

दोस्तो अगर मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी एक बार कमेंट में जरूर बताएं , यह एक काल्पनिक कहानी है और इसमें बहुत सी बाते सच भी है तो इन बातों को दिल पर न लेकर अनदेखा करे ..

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